Sand battery technology | सेंड बैटरी क्या है? | सैंड बैटरी कैसे काम करती है? | जानिये कैसे बैटरी उद्योग की तस्वीर बदल सकती है सैंड बैटरी

दोस्तों! तकनीक दुनिया में कुछ न कुछ नया होता रहता है, और आजकल मार्केट में सेंड यानी से रेत बनी बैटरी की चर्चाएं जोरों पर हैं, इंटरनेट मीडिया और यूट्यूब पर इस तरह के काफी सारे वीडियो आ रहे हैं और लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर रेत से बनी बैटरी क्या है? सेंड बैटरी कैसे काम करती है?

बैटरी की सबसे उन्नत तकनीक

माना जा रहा है कि यह बैटरी इतनी उन्नत किस्म की होगी कि यह वर्तमान में प्रचलित बैट्रियों  में आने वाली तमाम समस्याओं से निजात दिला देगी.  इसके साथ ही यह बैटरी लाइफ के मामले में भी बहुत अधिक मजबूत होगी और सालों साल ख़राब नहीं होगी. कहा जा रहा है कि इस बैटरी को बनाना भी इतना आसान है कि कोई भी से आसानी इसे अपने घर पर ही बना सकता है. हमारी वेबसाइट, फेसबुक पेज और यूट्यूब चैनल पर काफी लोग कमेंट कर रहे हैं कि क्या वाकई ऐसी कोई बैटरी आने वाली है जो सालों साल काम करेगी, बेहद सस्ती होगी, साथ ही उसे कोई भी आदमी अपने घर पर भी बना सकेगा?

Sand battery technology

नमस्कार! मैजेस्टिक इंडिया में आपका स्वागत है, यदि आप भी सेंड बैटरी के बारे में जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें, साथ ही हमारे व्हाट्सएप्प ग्रुप को ज्वाइन करना ना भूले क्योंकि हम यहाँ ऐसी ही रोचक जानकारियां लेकर आते रहते हैं.

Sand battery technology in India

दोस्तों जैसा कि आप जानते ही हैं दिन पर दिन बिजली से चलने वाले उपकरणों की बढ़ती हुई संख्या के कारण पावर कंजप्शन काफी अधिक होता जा रहा है, लोग अपने बिजली का बिल बचाने के लिए और निर्माण बिजली प्राप्त करने के लिए सोलर एनर्जी ऐसे विकल्पों का प्रयोग करते हैं. लेकिन सोलर एनर्जी के साथ में एक ड्रॉबैक यह है कि सोलर से आप को अधिकतम पावर सुबह 9:00 बजे से शाम के 4:00 बजे तक मिलती है जबकि हमारे घरों में पावर की अधिक आवश्यकता सुबह और शाम के समय होती है.

और इस समय से हमें मिनिमम या फिर ना के बराबर ऊर्जा मिलती है, जाहिर सी बात है ऐसे समझ में बिजली प्राप्त करने के लिए हम सोलर से मिलने वाली एनर्जी को बैटरी में स्टोर करते हैं और इसके लिए बैटरी बैंक का प्रयोग करते हैं. वर्तमान में हमारे पास में लेड एसिड बैटरी घरों में देखी जाती है.

सेंड बैटरी क्यों? रेत से बनने वाली बैटरी क्यों बनाई जा रही है?

आप सोच रहे होंगे कि जब हमारे पास पहले से ही बैटरी कई विकल्प मौजूद है, अच्छी तरह से चल रहे हैं तो फिर आखिर रीत से बैटरी बनाने की क्या आवश्यकता है?

दोस्तों वर्तमान में जो भी बैटरियां प्रयोग की जा रही हैं, उनमे पॉवर स्टोरेज सीमित मात्रा में और सीमित समय के लिए किया जा सकता है. इसके साथ ही इनमे सेल्फ डिसचार्ज भी काफी होता है. जैसे कि आपने देखा होगा कि आपकी कार जब लम्बे समय तक खड़ी रहती है तो सेल्फ डिस्चार्ज की बजह से इसमें लगी बैटरी डाउन हो जाती है और आपकी कार स्टार्ट नहीं होती. लेकिन सेंड बैटरी में सेल्फ डिस्चार्ज की समस्या नहीं होती है.

कैसे पावर स्टोरेज की क्षेत्र में क्रांति ला सकती है सेंड बैटरी?

दरअसल सेंड बैटरी की तकनीक के बारे में कहा जा रहा है कि यह बैटरी पावर स्टोरेज के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है. वर्तमान बैटरी की लाइफ कुछ वर्ष तक ही होती है जबकि सेंड बैटरी सोलर पैनल की तरह बहुत ही लंबे समय तक चल सकती है. इतना ही नहीं लेड एसिड और लिथियम बैटरी के पीछे इसकी कीमत भी काफी कम रहने की संभावना है. ऐसे में सेंड बैटरी के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि स्टोरेज के क्षेत्र में जबरदस्त पैदा कर सकती है.

सैंड बैट्री कैसे काम करती है?| How does the sand battery work?

दोस्तों जब सेंड बैटरी में पॉवर दी जाती है यानी कि उसे चार्ज किया जाता है तो रेत गर्म हो जाती है. यानी सेंड बैटरी में टेम्प्रेचर फार्म में एनर्जी स्टोर कर लेते हैं, और जब हमें बैकअप की आवश्यकता होती है तो रिवर्स टेक्नोलॉजी से हम एनर्जी को वापस प्राप्त कर लेते हैं.

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