सौर ऊर्जा का पर्यावरण पर प्रभाव | दुनिया में इस समय सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने पर काफी जोर दिया जा रहा है, इतना ही नहीं दुनिया के अधिकतर देश इस बात पर सहमत है कि धीरे धीरे पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोंतों से निर्भरता घटाकर ऊर्जा के नवीकरणीय साधनों की ओर रूख करना चाहिये।

Effect of solar plates on nature

नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोंतों में सबसे पहले नाम आता है सोलर ऊर्जा का। खासकर भारत जैसे देशों में जहां सूर्य की रोशनी वर्ष में 300 से भी अधिक दिनों तक पर्याप्त मात्रा में रहती है, वहां सौर ऊर्जा को भविष्य की ऊर्जा के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन सौर ऊर्जा के तेजी से बढ़ते प्रयोग ने कुछ सवाल भी खड़े किये हैं। 

पर्यावरण और सौर ऊर्जा | क्या पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है सोलर एनर्जी का बढ़ता प्रयोग

कई लोगों का विचार है कि सोलर एनर्जी का तेजी से बढ़ता प्रयोग हमारे पर्यावरण पर विपरीत असर डाल सकता है। हालंाकि वैज्ञानिक इस आशंका को पूरी तरह से निराधार बताते हैं। जी हां, वैज्ञानिकों का मानना है कि सोलर प्लेटें किसी भी तरह से हमारे पर्यावरण को नुकसान नहंी पहुंचाती। हालांकि इनके निर्माण की प्रक्रिया और इनमें प्रयोग होने वाली धातुओं के खनन से पर्यावरण को अवश्य कुछ नुकसान हो सकता है। 

सौर ऊर्जा उत्पादन से पर्यावरण का नुकसान कैसे?

क्वींसलैंड विश्वविद्यालय में हुये एक शोध में कहा गया है कि सौर ऊर्जा उत्पादन से पर्यावरण का नुकसान होगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि अक्षय ऊर्जा उपकरणों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाली धातुओें को प्राप्त करने के लिये तेजी से किये जा रहे खनन के परिणामस्वरूप जैव विविधता को खतरा हो सकता है। नेचर कम्युनिकेशन में प्रकाशित शोध में कहा गया है कि लिथियम, कोबाल्ट, तांबा, एल्युमिनियम जैसी धातुओं का प्रयोग सोलर उपकरणों के निर्माण में किया जाता है। ऐसे में इन धातुओं के अंधाधुंध खनन से पर्यावरण और जैव विविधता पर विपरीत असर पड़ेगा। 

सोलर एनर्जी से नहीं है पर्यावरण को नुकसान

कुल मिलाकर यदि शोध को समझा जाये तो इसमें भी यह स्पष्ट कहा गया है कि सोलर एनर्जी के प्रयोग से पर्यावरण को किसी प्रकार कोई नुकसान नहीं हैं। जिस पर्यावरणीय नुकसान की बात शोध में कही गयी है उसे सिर्फ औद्यौगिक प्रभाव माना जाता सकता है। ऐसे में सोलर एनर्जी को पर्यावरण के लिये लाभदायक ही माना जा सकता है, क्यों कि सोलर एनर्जी के प्रयोग से हमारे वातावरण में लाखों टन कार्बनडाइआॅक्साइड को जाने से रोका जा सकता है।

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