Green hydrogen production in india-सौर ऊर्जा से बनेगी ग्रीन हाईड्रोजन, विदेशों से पेट्रोल डीजल का आयात होगा समाप्त - भारत ने ग्रीन इनर्जी के क्षेत्र में लम्बी छलांग लगाने के लिये कदम आगे बढ़ा दिये हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेशनल हाईड्रोजन मिशन को ग्रीन एनर्जी की दशा में मील का पत्थर बताते हुये कहा है कि वर्ष 2047 तक भारत ऊर्जा के क्षेत्र में पूरी तरह आत्मनिर्भर होगा, इसके लिये ग्रीन हाईड्रोजन आधारित अर्थव्यवस्था बनाई जायेगी, ताकि विदेशों से करोड़ों डाॅलर कीमत का पेट्रोल और डीजल आयात न करना पड़े। 

green hydrogen production in india

क्या है ग्रीन हाईड्रोजन- 
what is green hydrogen

जहां तक हाईड्रोजन की बात है इसका इस्तेमाल 1970 के पहले से विभिन्न इंडस्ट्रियों में होता रहा है। लेकिन इस समय बात हो रही है, ग्रीन हाईड्रोजन की। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ग्रीन हाईड्रोजन है क्या? ग्रीन हाईड्रोजन ऐसी हाईड्रोजन को कहा जाता है जिसके निर्माण में किसी प्रकार का प्रदूषण न हुआ हो। यानी गैस के निर्माण के लिये नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल किया गया हो।

कैसे बनती है ग्रीन हाईड्रोजन- Green hydrogen production process

इलेक्ट्रोलाइजर विधि के द्वारा पानी को बिजली की मदद से आॅक्सीजन और हाईड्रोजन में तोड़ दिया जाता है। इस प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाली बिजली को सौर ऊर्जा से उत्पादित किया जाता है, ऐसे में हाईड्रोजन उत्पादन की पूरी प्रक्रिया में कहीं भी पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों का इस्तेमाल नहीं होता। इसीलिये इस तरह उत्पादित की गई हाईड्रोजन को ग्रीन हाईड्रोजन कहते हैं। 

क्या है सोलर बिजली की कीमत- Solar energy price in India

वर्ष 2013 में जब सौर ऊर्जा का पहला पाॅवर प्लांट लगा था तो उस समय सोलर से उत्पादिन बिजली की कीमत 16 रुपये प्रति यूनिट थी, वहीं आज यह घटकर महज 2 से 3 रुपये प्रति यूनिट तक आ गई है। जाहिर सी बात है जब एनर्जी इतनी सस्ती होगी तो उससे तैयार होने वाला उत्पाद यानी हाईड्रोजन की कीमत भी कम हो जायेगी। 

कहां प्रयोग होगी ग्रीन हाईड्रोजन- Green hydrogen usage

ग्रीन हाईड्रोजन का प्रयोग फैक्ट्रियों को चलाने, हवाई जहाजों में ईंधन के रूप में, गाड़ियों को चलाने, फर्टीलाइजर उद्योग आदि में किया जायेगा। 

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