हाइड्रोजन सोलर पैनल की कीमत | हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या है? | बिना बैटरी रात में काम करने वाला सोलर पैनल
हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या है? हाइड्रोजन सोलर पैनल कैसे काम करता है? हाइड्रोजन सोलर पैनल की कीमत? हाइड्रोजन सोलर पैनल कहां मिलेगा? हाइड्रोजन सोलर पैनल कैसे खरीद सकते हैं?
दोस्तों, हाइड्रोजन सोलर पैनल के बारे में हमने अपने ब्लॉग पर पिछले महीने कुछ आर्टिकल्स डाले थे, उनमें दी गई जानकारी को आप लोगों ने खूब पसंद किया. साथ ही कई लोगों ने हाइड्रोजन सोलर पैनल को लेकर उपरोक्त प्रश्न भी किये.
तो चलिए आज हम जानते हैं हाइड्रोजन सोलर पैनल के बारे में आपके द्वारा पूछे गए कुछ प्रमुख सवालों के जवाब और समझते हैं हाइड्रोजन पैनल की कार्यप्रणाली को.
हाइड्रोजन सोलर पैनल क्या है?
दोस्तों हाइड्रोजन सोलर पैनल एक नई तरह की टेक्नोलॉजी पर आधारित है, इस सोलर पैनल को हाइड्रोजन सोलर पैनल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सोलर और हाइड्रोजन दोनों तकनीक पर काम करता है. दिन के दौरान यह सूर्य की एनर्जी से बिजली बनाता है साथ ही हमारे वातावरण से पानी को खींचकर हाइड्रोजन का निर्माण करता है और एक टैंक में जमा करता रहता है. दिन में सामान्य सोलर पैनलों की तरह सूर्य की रोशनी से हमें बिजली देता है और रात में टैंक में जमा की गई हाइड्रोजन एनर्जी के माध्यम से बिजली प्रदान करता है.
रात में काम करने वाला सोलर पैनल
दिन में यह सोलर पैनल हाइड्रोजन का निर्माण करके टैंक में जमा कर लेता है, रात में भी आपको इस हाइड्रोजन के द्वारा एनर्जी की आपूर्ति कर सकता है, माना जाता है कि हाइड्रोजन टैंक होने के कारण इस सोलर पैनल में आपको बैटरी बैंक की आवश्यकता नहीं होगी. ऐसे में सोलर पैनल लंबे समय तक आपको सेवा देने में सक्षम होगा.
हाइड्रोजन सोलर पैनल से क्या फायदा है?
एक सोलर सिस्टम में जैसा कि आप जानते ही हैं कि बैकअप के लिए आपको बैटरियों की आवश्यकता पड़ती है, सोलर पैनल की लाइफ 25 साल तक या इससे भी अधिक होती है. जबकि बैट्रींयों की लाइफ आमतौर पर 5 साल के आसपास ही होती है, ऐसे में आपको हर 5 साल पर बैटरी में नया निवेश करना होता है. लेकिन हाइड्रोजन सोलर पैनल में बैटरियों की आवश्यकता नहीं होती यह हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी पर काम करता है यही कारण है कि इस सोलर पैनल का बाजार में बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है.
हाइड्रोजन सोलर पैनल कैसे काम करते हैं?
दोस्तों, हाइड्रोजन सोलर पैनल बिजली बनाने के लिए दिन में सूर्य की रोशनी का प्रयोग करते हैं और रात्रि के दौरान वह टैंक में एकत्रित की गई हाइड्रोजन का प्रयोग करके एनर्जी उपलब्ध कराते हैं. हाइड्रोजन सोलर पैनलों के मुख्य रूप से दो हिस्से होते हैं. पहला सामान्य सोलर पैनल और दूसरा हाइड्रोजन बनाने के लिए एक स्पेशल लेयर.
इस सोलर पैनल में हाइड्रोजन बनाने वाली लेयर ट्यूब्स की एक नेटवर्क से बनी होती है, यह ट्यूब्स वातावरण से जलवाष्प को अवशोषित करती है और केमिकल रिएक्शन के माध्यम से हाइड्रोजन में बदल देती है. इस पैनल द्वारा बनाई गई हाइड्रोजन को पैनल के साथ ही जोड़े गए एक टैंक में एकत्रित किया जाता है.
हाइड्रोजन सोलर पैनल की क्रियाविधि?
हाइड्रोजन सोलर पैनल इलेक्ट्रोलाइजर टेक्नोलॉजी के माध्यम से हाइड्रोजन का निर्माण करते हैं. इस तकनीक में यह सोलर पैनल वातावरण से पानी को अवशोषित कर लेते हैं. और उसके बाद इलेक्ट्रिकल एनर्जी की मदद से पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में तोड़ देते हैं. सामान्य भाषा में कहें तो बिजली की मदद से यह सोलर पैनल पानी के अणुओं को तोड़कर हाइड्रोजन का निर्माण कर देते हैं. इन सोलर पैनलों से बनने वाली हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन की श्रेणी में रखा जा सकता है
मोदी सरकार दे रही है ग्रीन हाइड्रोजन को प्रोत्साहन
आपको ज्ञात ही होगा कि केंद्र की मोदी सरकार इस समय ग्रीन हाइड्रोजन को काफी महत्व दे रही है. वैसे तो हाइड्रोजन का इस्तेमाल वर्षों से उद्योग धंधों में किया जा रहा है लेकिन जिस हाइड्रोजन को नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों से तैयार किया जाए उसे ग्रीन हाइड्रोजन कहते हैं. सरकार का प्रयास है की नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से अधिक से अधिक हाइड्रोजन का उत्पादन हो ताकि ऊर्जा के क्षेत्र में देश आत्मनिर्भर बन सके.
ग्रीन हाइड्रोजन किस काम में आती है
ग्रीन हाइड्रोजन एक प्रदूषण मुक्त गैस है जो रिफायनिंग सेक्टर, फर्टिलाइजर सेक्टर, एविएशन सेक्टर, स्टील सेक्टर आदि काम में आती है. इतना ही नहीं हाइड्रोजन के माध्यम से वाहनों को भी चलाया जा सकता है. साथ ही ग्रीन हाइड्रोजन के माध्यम से बिजली भी पैदा की जा सकती है.
क्या सस्ता हो सकता है हाइड्रोजन सोलर पैनल?
जब भी कोई तकनीक नई होती है तो उसे बनाने वाली कंपनियां भी सीमित होती हैं, लेकिन समय के साथ जैसे-जैसे निर्माता की संख्या बढ़ती है तकनीक उन्नत होती है कीमतें भी कम होती जाती हैं. जैसा कि आप शायद जानते ही होंगे कि जब वर्ष 2013 में देश में पहला सोलर पावर प्लांट लगा था, उसे समय सोलर से बिजली उत्पादन का प्रति यूनिट खर्च 16 रुपए था.
जबकि वर्तमान में सोलर पावर प्लांट से बिजली महज दो से ₹3 प्रति यूनिट में मिल रही है, इसी उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि भविष्य में हाइड्रोजन सोलर पैनल भी निश्चित रूप से सस्ते होंगे और आप बड़ी आसानी से इन्हें अपने घर पर लगा सकेंगे.
हाइड्रोजन सोलर पैनल कौन सी कंपनियां बनाती हैं?
हाइड्रोजन सोलर पैनल का निर्माण करने के काम में ग्लोबल स्तर पर अभी मात्र 4 से 5 कंपनियां ही है जो हाइड्रोजन सोलर पैनलों के डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग का कार्य कर रही है. इनमें से सबसे प्रमुख कंपनी है सन हाइड्रोजन.
इसके अलावा निम्नलिखित अन्य कंपनियां भी हाइड्रोजन सोलर पैनल के क्षेत्र में काम कर रही हैं : -
सालों तक रखा जा सकता है एनर्जी को स्टोर
हाइड्रोजन सोलर पैनल की एक और खास बात यह है कि इसमें एकत्रित की गई एनर्जी को सालों साल सुरक्षित रखा जा सकता है. इसके साथ ही इसमें डिग्रेडेशन भी नहीं होता. आप जब चाहे, जहां चाहे एनर्जी का उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही टैंक में एकत्रित की गई एनर्जी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया भी जा सकता है.
हाइड्रोजन सोलर पैनल कहां मिलेंगे? | हाइड्रोजन सोलर पैनल कब मिलेंगे
हाइड्रोजन सोलर पैनलों का प्रयोग दुबई में वर्तमान में ही किया जा रहा है, लेकिन भारत में इस टेक्नोलॉजी को आने में अभी लगभग 2 साल का समय लगने की उम्मीद है. हालांकि कुछ कंपनियां एक वर्ष के अंदर ही हाइड्रोजन सोलर पैनलों को बाजार में उतारने की घोषणा कर चुकी है.
हाइड्रोजन सोलर पैनल की कीमत क्या है?
भारत में अभी हाइड्रोजन सोलर पैनलों की कीमत को लेकर किसी कंपनी की ओर से आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाइड्रोजन सोलर पैनल की कीमत ₹2,00,000 प्रति किलोवाट से लेकर ₹3,00,000 प्रति किलोवाट तक हो सकती है.
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